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भारतीय संभिधान में नागरिक अधिकारों और कर्तव्यो का उल्लेख किया उनके बीच एक समानता का अधिकार भी है जिसमे कहा गया है भारत के सभी नागरिक चाहे वह किसी भी जाति धर्म लिंग और स्थान के निवासी हो शासन के नजर बराबर है सरकारी नोकरी में सभी को बराबरी का दर्जा मिलेगा लेकिन आरक्षण नागरिको को मिले अधिकार का हनन करता है और समाज के एक बर्ग का शोषण कर रहा है भारतीय सबिधान में आरक्षण को केबल दस वर्ष के लिए लागु किया था लेकिन आजादी छे दशक बीतने के बाद भी सत्ता के भूखे भेड़िये इसे लम्बा खीचते जा रहे है राजनीती विज्ञानं में समानता की परिभासा यह दी जाती है की सभी नागरिको उन्नति का अवसर मिलना चाहिए बशर्ते दुसरे के अधिकार का हनन न करे किन्तु भारत में समानता का नारा लगाने बालो से पूछता हु ऐ समानता की पारीभासा कहा से सीखी है dalito की मसीहाई करने वाले क्या सोचते है पुर्ब्जो की गलती की सजा बर्तमान पीडिया भुगते ये कहा का न्याय है एक जाति को आगे बढ़ने के लिए एक बर्ग को पीछे धकेलना कहा का इंसाफ है एक ९० प्रतिसत अंक लाने वाला छात्र डाक्टर इंजीनिअर नहीं बन सकता जबकि ४० प्रतिशत अंक लाने वाले जाति विशेष के छात्र डाक्टर बन सकता है सामान्य बर्ग के व्यक्ति को स्कुल में एडमिशन से लेकर चुनाव क्षेत्र तक सभी जगह शोषण का सिकार होना पड़ता है (शेष अगले अंक में )
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