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आरक्षण व्यवस्था एक सामाजिक बुराई का प्रतीक क्योकि कोई व्यवस्था तब तक जन हितेषी नहीं हो सकती है जब तक सम्पूर्ण समाज की हितेषी नहीं हो आरक्षण के माध्यम से कुछ जातियों के वर्ग विशेष को आगे badhana kaha का न्याय है एक जाती को आगे badhakar दूसरी जाती को पीछे धकेलना क्या साबित करता है आरक्षण के माध्यम से वास्तविक प्रतिभा को कुचलना राष्ट्र विरोधी है जिसमे हमारे राजनेता संलगन तथा तथाकथित संविधान वादी समाज की सामान्य जाति के विरुद्ध आरक्षण रूपी हथियार का prayog कर रहे है एक तरफ समानता और सामाजिक न्याय की बात करने बाले यह लोग दूसरी ओर यही आरक्षण के माध्यम से सामाजिक वैमनस्य फेला रहे है आरक्षण व्य्वास्स्था को समाप्त करने की बात भीम राव अम्बेडकर ने भी कही थी आंबेडकर ने अपनी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी की meeting में १९५६ में आरक्षण को समाप्त करने की प्रस्ताव पारित किया लेकिन यह तथा कथित अम्बेडकर वादी निजी स्वार्थ के लिए सवर्ण विरोद्धी नीतियों को बढ़ावा दे रहे है लेकिन वो यह नहीं jante की वास्तविक प्रतिभा किसी आरक्षण या व्यवस्था की mohtaj नहीं hoti वो तो कर्म और विचार से निखर जाती वो लोग और जातिया जो मेहनत से डरते है वोही आरक्षण रूपी नपुंसक का सहारा लेते है में उन्हें चुनोती देता हु agar उनमे हिम्मत है तो mere sath khade हो कर आरक्षण का विरोद्ध करे जय हिंद (सम्पर्क करे ९७५५३१७७४० )
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