JAN LALKAR
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कभी आँखों में रहती थी कभी बातो रहती है कभी दिल में रहती थी अब वो यादो में रहती है
तलाशा करती है मेरी धड़कन उसे अब भी मुझे भुला दिया उसने या मेरे ख्वावो में रहती है
कहता है मेरा भी दिल वही तुझसे ,जो अक्सर वर्षा भी अपने बादल से कहती है
आशिया मेरा दिल उसका जहा जन्मो की प्यासी वो सदियों से रहती है
बेवफा वो नहीं है हम तो किस्तम के मारे है
हमें ठुकरा दिया आसमा ने हम तो टूटे सितारे है
हम गर्दिश में है , अँधेरे की हमें आदत
न कोई कल हमारा था ,न अब वो हमारे है
देवानंद शर्मा *दीपक *
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